ट्रम्प की दोस्ती या व्यापारिक चाल? भारत पर क्या होगा असर?

ट्रम्प मोदी जी को अपना दोस्त कहते है लेकिन क्या वह सच में दोस्त है या कोरा दिखावा। कुछ दिनों पहले मोदी जी अमेरिका मे थे और वो ट्रम्प से मिले। जहाँ दोनो ने एक दुसरे की जम कर तारीफ की, और इसके साथ ही ट्ररिफ की भी बात की, बहुत से लोग तो इसे समझ ही नही पाएं की आखिर ये टैरिफ क्या है? आज ट्रम्प पूरी दुनिया के साथ ट्रेड वार करने जा रहे है। कनाडा और मैक्सिको अमेरिका के दो सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर है जिन पर अमेरिका ने 25% टैरिफ लगा दिया है। और तो और चाइना से आने वाली हर चीज पर अत्यधिक 10%। तो क्या इस सूची मे भारत अगला है, और इसकी वजह से भारत की इक्कोनोमी पर क्या प्रभाव पड़ेगा? डाॅलर पहले ही 86₹ का आंकड़ा पार कर चुका है। क्या 1$ =100रूपए का होने वाला है चलिए आज के इस ब्लॉग मे हम इसको समझते है। 


जियोपालिटिक्स मे कुछ भी हो सकता है, जहाँ दो दुश्मन दोस्त बन सकते है वही दो दोस्त भी दुशमन बन सकते है। मोदी जी और ट्रम्प ने AI के क्षेत्र में भी बात की है, लेकिन यह संभव कैसे है जब आप और में AI के बारे मे सीखेंगे ही नही तो। AI यानी चैट जीपीटी की मदद से किसी को मेल लिख देना या होमवर्क करना ही हम और आप जानते है। जबकि AI का काम तो इससे बहुत अलग है यह तो केवल AI टेक्नोलोजी का 0.1% भी नही है।

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मोदी जी और ट्रम्प के बीच हुई बातचीत के मुद्दे 

अमेरिका में मोदी जी की यात्रा सफल रही या नही, तो यह सफल रही या असफल यह इस बात पर निर्भर करता है की आप कौनसे मीडिया चैनल या किस मीडिया से जुड़े है। खैर इसे एक और रखते हुए इस मीटिंग मे क्या हुआ इस पर ध्यान देते है इसमे सबसे पहला है मिशन 500, तो चलिए पहले इसे समझते है आज भारत अमेरिका का सबसे बडा ट्रेड पार्टनर बन चुका है। दोनों देशो के बीच 129 बिलियन डॉलर का ट्रैड हर साल होता है। और आने वाले पांच सालो यानी 2030 तक, यह आंकड़ा 500 बिलियन डाॅलर तक पहुंचने वाला है। हो सकता है इसे पार भी कर जाए। यह है मिशन 500


लेकिन ट्रम्प चाहते है यह आकडा 50-50 हो? यानी अमेरिका भारत से 250 बिलियन डॉलर के गुड्स एंड सर्विस इम्पोर्ट करे,और भारत भी अमेरिका से 250 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट करें। और इस तरह दोनो को मिलाकर यह ट्रैड 500 बिलियन डॉलर का हो, कुल मिलाकर अमेरिका चाहता है की भारत, रूस और चाइना से ज्यादा अमेरिका से इम्पोर्ट करे। इसके बाद मीटिंग का दुसरा मुद्दा था, USAID जी हाँ, इसे लेकर काफी ज्यादा विवाद हो रहा है, दरअसल USAID के तौर पर अमेरिका दुसरे देशो के NGO को फंड करता है। मोदी जी और ट्रम्प की बातचीत मे बांग्लादेश का भी मुद्दा उठा। इस पर ट्रम्प ने साफ कर दिया की बांग्लादेश के मुद्दे को मोदी आराम से हल कर सकते है।" तो मै बाग्लादेश को प्रधानमंत्री मोदी पर छोड देता हू" ।


इसके साथ ही हाल ही में अमेरिका से अवैध प्रवासीयो को भारत लाया गया था। होता क्या है की कुछ लोग वीजा लेकर अमेरिका जाते है लेकिन वीजा की टाइम लाइन पूरी होने के बाद वापस ही नही आते है। या अवैध तरीक से कनाड़ या मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में घुस जाते है। असल मे यह समस्या केवल भारत का नही है, डेवलप देशो मे यह आम बात है। लेकिन ट्रम्प इस टर्म में इस बात पर जोरदार ऐक्शन ले रहे है। 


ट्रम्प को लेकर भारतीयों की राय 

हाल फिलहाल में एक ओपिनियन पोल किया गया था। जिसमें विभिन्न देशों के लोगों से यह पूछा गया कि आपको क्या लगता है कि ट्रंप आपके देश के लिए पॉजिटिव है या नेगेटिव, तो इसमें 84% भारतीय ने कहा कि हां ट्रंप भारत के लिए पॉजिटिव हैं। ट्रंप भारत के दोस्त हैं परम अच्छे हैं कुछ ऐसा इस ओपिनियन पोल में कहा गया। भारत और अमेरिका का रिलेशनशिप काफी खास रहा है। इसमें कोई संदेह नही है।

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भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड 

अमेरिका उन चुनिन्दा देशो मे से एक है, जहाँ भारत इम्पोर्ट, एक्पोर्ट मे लाभ मे है। यानी पिछले साल दोनो देशो के बीच कुल 118 बिलियन डॉलर का ट्रैड हुआ था। उसमें भारत के लिए एक्सपोर्ट माइनस इंपोर्ट करने पर 32 बिलीयन डॉलर बचता है। यानी भारत अमेरिका ट्रैड से भारत को 32 बिलियन डॉलर का फायदा। और यह बहुत ज्यादा है क्योंकि जितना अमेरिका हमसे खरीदना है हम सीधा अमेरिका से उतना नहीं खरीदते हैं। कुछ ही समय पहले ट्रंप ने इस मुद्दे को हाईलाइट किया था। और इसके साथ ही उन्होंने भारत को very big abuser भी कहा था।
Source ; Times of india 

मतलब क्या है? दरअसल ट्रम्प के पहले टर्म 2019 मे उन्होने कहा था की भारत दुनिया का सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाला देश है। यहां वो इनकम टैक्स की बात नही कर रहे थे। भारत विदेश से आने वाले सामान पर बहुत अधिक टैक्स लगाता है। विदेशी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाने के दो तर्क होते हैं
  1. वह सामान भारतीयों के लिए महंगा हो जाता है जिससे भारतीय उसे खरीदने से बचते हैं। जिससे वह विदेशी सामान को खरीदना कम कर देते हैं या बंद कर देते हैं 
  2. दूसरा तर्क यह हो सकता है कि यह बाहर की कंपनी के लिए एक बेहतर मौका बन जाता है कि वह भारत में ही आए और वहीं अपनी कंपनी स्थापित करें यहां जॉब्स क्रिएट करो और अपना प्रोडक्ट यहां भेजो इसे आपके टैरिफ कम हो जाएंगे
भारत की ओर से ज्यादा टैरिफ लगाने का यही कारण होता है। अगर 2019 की बात करें तो ट्रंप ने Harley- Davidson मोटरसाइकिल की बात की थी यह बड़ी-बड़ी बाइक्स जब भारत में इंपोर्ट होती है 100% टैरिफ लगता है। ट्रंप बार-बार एक शब्द का उपयोग करते हैं रिसिप्रोकल टैरिफ, यानी मतलब यह है कि भारत उन पर 100% टैरिफ लगता है तो वह भी भारत पर 100% टैरिफ ही लगाएंगे। अगर भारत हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 100% टैरिफ लगाएगा तो वह भी भारत की मोटरसाइकिल पर 100% टैरिफ लगाएंगे, लेकिन टैरिफ से होगा क्या तो देखिए अगर डेविडसन मोटरसाइकिल पर भारत 100% टैरिफ लगता है तो वह मोटरसाइकिल महंगी हो जाएगी और जिसकी वजह से उसकी सेल्स में कमी आएगी तो ऐसा ही अब अमेरिका भी चाहता है कि वह भारत की मोटरसाइकिल पर भी 100% टैरिफ लगाएगा। लेकिन अभी के लिए चीज स्पष्ट नहीं है तो हम कुछ सटीक नहीं कह सकते

लेकिन यहां मुद्दा यह है कि मोदी जी के अमेरिका जाने से पहले ही उन्होंने इस चीज पर प्रतिक्रिया की, जिसमें हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल के 1600 सीसी वाले इंजन से कम पर 40% टैरिफ कर दिया गया था और 1600 सीसी से ज्यादा वाले इंजन की हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 30% टैरिफ कर दिया गया था
Source: hindustan times 

तो अमेरिका अब रिसिप्रोकल टैरिफ जैसे शब्दों का ही नहीं बल्कि उसका उपयोग भी करेगा जितना टैरिफ कोई देश अमेरिका पर लगाएगा उतना ही टैरिफ अमेरिका उस देश के समान पर भी लगाएगा। अभी इसे लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है या यूं कहे इसे लेकर कोई संक्षिप्त बात सामने नहीं आई है लेकिन यकीन मानिए जैसे ही इसे लेकर कुछ सामने आता है ट्रेड वाॅर होना तय है।

निष्कर्ष 

ट्रंप और मोदी जी की मुलाकात नहीं भारत अमेरिका के संबंधों को एक नई दिशा दी है। हालांकि, इस दोस्ती के पीछे व्यापारिक हितों का प्रभाव अधिक जाना पड़ता है। अमेरिका की "रिसिप्रोकल टैरिफ" नीति से भारत के व्यापार पर बड़ा असर पड़ सकता है। ट्रंप चाहते हैं कि भारत से ज्यादा से ज्यादा आयात हो जिससे अमेरिका को फायदा हो

भविष्य में अगर ट्रेड वॉर होता है तो इससे भारत भारत के बाजार में महंगाई बढ़ सकती है साथ ही डॉलर के सामने रुपया और कमजोर हो सकता है। हालांकि, भारत की मजबूत विदेशी नीति और आर्थिक सुधारो से उम्मीद है कि भारत इस चुनौती पूर्ण स्थिति का सामना सफलतापूर्वक करेगा

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