रुपया सस्ता क्यों हो रहा है? डॉलर्स की बढ़ती कीमत और इसके पीछे के कारण

रूपये सस्ता हो रहा है और डाॅलर महंगा। और एक्सपर्ट का दावा है कि आने वाले समय में एक डाॅलर की कीमत सौ रूपये के बराबर हो जाएगी। इन दिनो रूपये अपनी निचले स्तर पर चल रहा है। आज एक डाॅलर की कीमत 86.50रूपये है। और जिसमे लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वही एक समय था जब भारत आजाद हुआ यानी 15 अगस्त 1947 को $1 की कीमत केवल ₹4.16 थी। तो ऐसा आखिर क्या होता है जिसकी वजह से डॉलर की कीमत बढ़ती है और रुपए की कीमत घटती है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है एक आम आदमी की जेब पर और साथ ही देश पर। 

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यहां आपके दिमाग में यह आ रहा होगा कि अगर आजादी से पहले $1 की कीमत ₹4.16 थी। और आज $1 की कीमत 86 रुपए के लगभग है तो इसमें रुपया घटा कहाँ? उल्टा रुपए के मूल्य में तो बढ़ोतरी हुई है। तो ऐसा नहीं है रुपए घटेगा तो उसके मूल्य में ऊछाल दिखाई देगा ठीक वैसे ही जैसे 1947 में सिर्फ ₹4 था और आज 2025 में ₹86 हो गया है। और जैसा कि एक्सपर्ट्स का मानना है जल्द ही $1 की कीमत ₹100 के बराबर हो जाएगी। यह स्थिति रुपए का डॉलर के सामने कमजोर होना दर्शाता है। आसान भाषा में कहीं तो डॉलर महंगा हो रहा है और रुपया सस्ता।


तो आज के इस ब्लॉग में हम इसे आसान भाषा मे समझे। कि यह व्यवस्था कैसे काम करती है। और आखिर क्यों डाॅलर दिन प्रतिदिन क्यो महंगा होता जा रहा है।, जैसे अनेकों सवालो के जवाब आपको इस लेख में मिल जाएंगे।


डाॅलर महंगा क्यो हो रहा है ?

डाॅलर महंगा क्यो हो रहा है? सवाल जटिल मालुम पड़ता है लेकिन याद रखिए, अधिकतर जटिल सवालों के जवाब बहुत आसान होते है। कुछ ऐसा ही है इस सवाल का जबाब भी, डाॅलर महंगा हो रहा है क्योंकि लोगो को डाॅलर चाहिए। यही कारण है डाॅलर के महंगा होने का। लेकिन ऐसा क्यों है, देखिये 54% निर्यात केवल डाॅलर में होता है, और 88% फोरन ट्रेड भी केवल डाॅलर मे ही होता है। 

डाॅलर महंगा होता है क्योंकि डाॅलर की डिमांड (माँग) बढ़ती है।लेकिन अभी डाॅलर के महंगा होने का कारण है डोनाल्ड ट्रम्प। जी हाँ जब से डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव जीते है तब से डाॅलर के दाम बढ़ें है। और इसका कारण एक्सपर्ट बताते है MAGA(मागा) को। ये मागा क्या है? मागा है "Make America Great Again" 

लेकिन ऐसा नही है कि डाॅलर की बढ़ती मांग की वजह से केवल भारतीय रूपया ही कमजोर हुआ है। इसका प्रभाव दुनिया के सभी देशों की करेंसी पर पडा है। ट्रम्प चाहते है कि अमेरिका मे इन्वेस्टमेंट बढ़े, इन्कम टैक्स कम हो और फोरेन वर्कर्स के बजाय अमेरिक के मूल निवासीयो को काम मिले। 


करेंसी की कीमत निर्धारित कौन करता है?

दुनिया में या लोगों मे यह मिथ मै की जिस देश की करेंसी महंगी है वह कमजोर है। ऐसा नही है आपने बेहरीनी दीनार जो की बेहरीन देश, जिस देश को शायद आप मैप पर ढूँढ भी न पायें ,के 1 दीनार की कीमत 2$ के बराबर है। और ₹227। तो क्या केवल करेंस बेहतर होने से बेहरीन, अमेरिका से बेहतर बनेगा क्या?

डाॅलर से महंगी करेंसी होना आपकी करेंस को मजबूत बना सकता है। लेकिन आपके देश को नही। और इसका ठीक विपरीत भी समझे कि आपकी करेंसी का कमजोर होना डाॅलर के सामने, आपकी करेंसी को कमजोर बना सकता है आपके देश को नही।

देखिये 1$ खरीदने के लिए जापान को 157 जापानी येन देने पडते है। वही 1$ खरीदने के लिए कोरिया को 1400 कोरियन वाॅन देने पड़ते है। और ऐसे ही रूपये से आज के समय पर डाॅलर खरीदे तो उसके लिए 86₹ देने होंगे। जो कि 1947 मे केवल ₹4 थे यानि 1947 में 1$ खरीदने के लिए केवल 4₹ देने होते थे। तो याद रहे करेंसी के मजबूत या कमजोर होने से यह नहीं कहा जा सकता की वह देश मजबूत है या कमजोर। 

अब जानते है कि यह निर्धारित कौन करता है कि कौनसे देश की करेंसी की कीमत क्या होगी? इसके लिए तीन तरीक या मेथेड काम करते है। जिन्हे अधिकतर देश अपनाते है।

उनमें से एक है फीक्सड एक्सचेंज रेट जिसमें उस करेंसी के लिए एक रेट फिक्स कर दिया जाता है। जैसे UAE इसी तरीक का इस्तेमाल करता है। जिसमे 1$, की UAE की करेंसी दरम में 3.67AED फिक्स कर दि गई है। 

दुसरा है फलोटिंग एक्सचेंज रेट जो जापान मे उपयोग लिया जाता है। जिसमे सेन्ट्रल बैंक नही बल्कि डिमांड और सप्लाई के रेट तय करती है। और तीसरा होता है मेनैज फ्लेटिग एक्सचेंज रेट, जो भारत उपयोग लेता है। यह पहले दो एक्सचेंज रेट का मिश्रित रूप है। इसमें RBI एक लोवर लिमिट और अपर लिमिट से एक्सचेंज रेट को बैलेंस करती है। यह रेट को बहुत ज्यादा गिरने नही देती और ना ही उसे बहुत ज्यादा बढ़ने नही देता। 

अब डाॅलर के रेट बढ रहे है तो RBI अपने रिज़र्व में से डाॅलर रिलिज करेगा। ताकि बाजार में डाॅलर की सप्लाई की जा सके।
या फिर ब्याज दर कम करेगी ताकि कंपनी भारत में निवेश करें। जिससे रूपये का डिमांड हो। कुल मिलाकर RBI रूपये की डिमांड बढ़ाने की कोशिश करेगी। 

डाॅलर बढ़ेगा तो इससे हमें क्या ?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि अगर डॉलर बढ़ रहा है तो इससे हमें क्या नुकसान ना तो हम डॉलर का उपयोग करते हैं ना ही हमें अमेरिका घूमने जाना है। इसके अलावा ना ही हमें इंपोर्टेड चीजों का शौक है। तो इससे हमें क्या फर्क पड़ने वाला है? तो यकीन मानिए फर्क तो पड़ता है हम लोग पेट्रोल तो खरीदते ही है। तो बस फिर एक रास्ता काफी है पुरे बाजार में घुसने के लिए। 

क्या आप जानते है पिछले साल हमने 87% पेट्रोल बाहर से मंगवाया था। जितने की हम खपत करते है उसमे से। और इसके लिए हमने 132 बिलियन डॉलर खर्च किए थे। तो इसका भार अंततः जनता को ही झेलना पडता हैं। ऐसे एक उदाहरण से समझते है।

मान लिजिए ऑयल के एक बैरल की कीमत है 50$ अब भारत को तेल खरीदने के लिए दो ट्रांजैक्शन करने पड़ते हैं जिसमें पहले ट्रांजैक्शन में रुपए से डॉलर खरीदने पड़ते हैं और दूसरे ट्रांजैक्शन में डॉलर से बैरल खरीदना पड़ता है। अब पहले डाॅलर खरीदने है तो हमें 80₹ में 1$ मिलता है, तो इस हिसाब से एक बैरल हमारे 4,000₹ का पडा। लेकिन अब जब 1$ खरीदने के लिए हमें 86₹ देने होंगे तो यह एक बैरल 4,300₹ का पडेगा। तो जो 300₹ ऑयल महंगा हुआ है उसकी भरपाई अंततः जनता को ही करनी पड़ती है। तो कुल मिलाकर पड़ा न जनता की जेब पर असर।


क्या 1$ को 1₹ के बराबर किया जा सकता है?

इतना सब जानने के बाद यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि क्या $1 को ₹1 के बराबर किया जा सकता है। हां ऐसा संभव है किया जा सकता है लेकिन उसका कोई लाभ नजर नहीं आता इस बारे में हम और बात करेंगे लेकिन पहले बता देते हैं कि किस तरह से $1 को ₹1 के बराबर किया जा सकता है देखिए आप लोगों ने पहले सुना होगा अपने माता-पिता से अपने दादा-दादी से कि उनके टाइम पर पैसा, आना। ऐसी कुछ करेंसी चला करती थी उसे समय रुपया नहीं था तो ऐसा करने के लिए हमें एक नई करेंसी जोड़नी होगी मान लीजिए नई करेंसी का नाम है सुपर रुपए और एक सुपर रुपए में ₹100 होंगे तो $1 एक सुपर रुपए के बराबर हो गया जैसा की ₹1 के बराबर 100 पैसे होते हैं यहां $1 एक सुपर रुपए के बराबर तो हो गया लेकिन इसका प्रभाव वैसा ही रहेगा देश पर जैसा कि अब है


निष्कर्ष 

दिन प्रतिदिन डॉलर की बढ़ती मांग जिसकी वजह से एक्सपर्ट ने $1 की कीमत ₹100 तक पहुंचाने का दावा किया है इस लेख में हमने जाना की डॉलर क्यों बढ़ रहा है और रुपया क्यों कमजोर हो रहा है इसी के साथ हमने आम आदमी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा वह भी समझा है और एक रुपए $1 के बराबर किया जा सकता है तो कैसे इसके बारे में भी जाना है उम्मीद है आपको ब्लॉग अच्छा लगा होगा।


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