दिल्ली में विधानसभा चुनाव 1993 में पहली बार हुए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि 69 वें संविधान संशोधन 1991 मे दिल्ली को विशेष दर्जा देते हुए इसमे विधानसभा का गठन किया गया। और 1993 के बाद से हर चुनाव में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ी है, और अब यह कहा जा सकता है कि दिल्ली की सत्ता पर कौन बैठेगा इसका निर्णय काफ़ी हद तक महिलाओं के वोट से तय होता है।
देश के बदलते सियासी माहौल मे महिलाएं अब सिर्फ वोट नही डाल रही है, बल्कि सत्ता निर्माण और गिराने में अहम भूमिका निभा रही है। जिस भी तरफ महिलाओं ने अपना वोट डाला उसका पलडा भारी हो जाएगा। और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की कई जगह महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया है और उस जगह केवल महिलाएं निर्णायक फैक्टर बन कर उभरी है। हाल ही मे झारखंड और महाराष्ट्र मे यही देखा गया है।
दिल्ली में महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि
दिल्ली में 1993 मे पहली बार पूर्ण विधानसभा चुनाव हुआ था, तब पुरूषों का मतदान 64.6% और महिलाओं का 58.3% था, मतलब पुरूषों की तुलना मे महिलाओं का वोट प्रतिशत 6.3% कम था। लेकिन महिलाओं का मतदान प्रतिशत इस प्रकार बढ़ की 2020 के विधानसभा चुनावों में जहाँ पुरूषों का मतदान 62.6% था वहीं 62.5% महिलाओं ने वोट डाला
AAP की ओर बढ़ता महिलाओं का रूझान
1993 से 2013 तक दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा रही, लेकिन 2013 मे आम आदमी पार्टी की एंर्टी के बाद सियासत मे बदलाव आया। और इसके साथ ही महिलाओं का रूझान धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी की ओर बढ गया। 2020 के चुनाव में जहाँ AAP को पुरूषों से 49% वोट मिले वही महिलाओं का वोट प्रतिशत 60% के करीब था।
महिलाओं के लिए पार्टियों की आकर्षक योजनाएं
आम आदमी पार्टी जानती है कि महिलाओं का वोट उनकी सत्ता को कायम रखने के लिए कितना महत्वपूर्ण है उनकी जीत के लिए महिला वोटर्स का समर्थन बेहद जरूरी है, इसलिए इस बार उन्होंने 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना' जैसी बड़ पहल की। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा, मुफ्त बिजली-पानी और सरकारी स्कूल मे मुफ्त ड्रैस और किताबें जैसी योजनाए पहले से ही लागू किया हुआ है
कब होंगे दिल्ली में चुनाव
70 विधानसभा सीटों पर, दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा अगले हफ्ते मे कभी भी हो सकती है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, यह घोषणा 6 या 7 जनवरी को हो सकती है, और चुनाव के 12 फरवरी के आसपास करवाए जाने की सम्भावना है। चुनाव आयोग ने इसे लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चुनावी तैयारी पर एक बैठक आयोजित की।