Atal Bihari Vajpayee 100 वीं जयंती...जानें उनके विचार

 क्रिसमस डे के साथ-साथ आज का दिन कई कारणों के लिए  ऐतिहासिक है। वर्ष 1924 में आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का जन्म हुआ था। वही अटल बिहारी वाजपेई जिन्होंने अपना जीवन भारत की सेवा में लगा दिया। उनका नाम भारत के इतिहास और राजनीति मैं स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। भारत रत्न से सम्मानित भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की आज 100 वीं  जयंती है। जिसे सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति की वह हस्ती है जिनकी प्रतिभा और समर्पण के न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि विपक्षी दल के नेता भी कायल थे। अटल जी किसी को भी पराया नहीं समझते थे यही वह कारण था कि विपक्षी दलों में भी अटल जी के दोस्त थे। जनता को उनकी सादगी और विनम्र स्वभाव खूब बहाता था इसी के चलते अटल बिहारी वाजपेई लाखों लोगों के दिलों पर राज करते थे। 

अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर में हुआ। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेई था। माता का नाम कृष्णा देवी था। उनका स्कूली सफर ग्वालियर में ही पूरा हुआ। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। डिएवी कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान से एम.ए किया था। अपने पिता के साथ एलएलबी की पढ़ाई भी कर रहे थे लेकिन राजनीति में कूदने से उनकी यह पढ़ाई अधूरी रह गई उन्होंने इस बीच में छोड़ दिया


RSS से जुड़ना और भारत छोड़ो आन्दोलन मे भाग लेना

अटल बिहारी वाजपेई का RSS में जुड़ने का किस्सा काफी दिलचस्प है युवाओं का चरित्र निर्माण करने के उद्देश्य से उन दिनों आर्य समाज के यूथ विंग आर्य कुमार सभा का बोलबाला था। इसे लेकर उन दिनों देश के गांव में कस्बो में इसे लेकर साप्ताहिक बैठकर हुआ करती थी। एक बार अटल बिहारी वाजपेई अपने एक दोस्त के साथ ग्वालियर में हुई सभा में हिस्सा लेने पहुंचे

बैठक में चर्चा शुरू हुई और तकरीबन कुछ ही देर की चर्चा में अटल बिहारी वाजपेई ने सभा के वरिष्ठ कार्यकर्ता भूदेव शास्त्री का ध्यान अपनी ओर खींचा। अटल जी की वाकपटुता से भूदेव शास्त्री बड़े प्रभावित हुए। और उन्होंने इस समय यह ठान लिया कि यह लड़का तो संघ में होना ही चाहिए। और बस यही वह किस्सा था जहां से अटल बिहारी वाजपेई आरएसएस में जुड़े।

और क्या आप जानते हैं इसके बाद 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। जिसके चलते 24 दिन कारावास में भी रहे थे।


अटल जी का राजनीति में आना

अटल बिहारी वाजपेई ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी। वे 10 बार लोकसभा में एवं दो बार राज्यसभा में सांसद रहे। वह देश के एकमात्र ऐसी राजनेता थे जिन्होंने चार राज्यों से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। जो राज्य थे उत्तर प्रदेश, गुजरात मध्य प्रदेश और दिल्ली।

1952 में पहली बार अटल बिहारी वाजपेई ने लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्हें यह सफलता 1957 के लोकसभा चुनाव में मिली। और वह बलरामपुर संसदीय सीट से जीतकर लोकसभा में पहुंचे

वाजपेई तीसरी बार तीसरी लोकसभा चुनाव 1962 में लखनऊ सीट से उतरे, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी लखनऊ में उन्हें जीत नहीं मिली इसके बाद वह राज्यसभा सदस्य चुने गए।

1971 पांचवी लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई मध्य प्रदेश के ग्वालियर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। जब जनता पार्टी आंतरिक कलह के कारण बिखरी तो 1980 में अटल बिहारी वाजपेई भारतीय जनता पार्टी में आ गए। वाजपेई भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने

1984 में अटल जी ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर से लोकसभा की सीट के लिए चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के माधवराव सिंधिया अटल जी पौने दो लाख वोटो से हार गए

वाजपेई 1996 से लेकर 2004 तक तीन बार प्रधानमंत्री बने। यह 1996 के चुनाव ही थे जब भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। और अटल बिहारी वाजपेई पहली बार प्रधानमंत्री बने हालांकि तेरा दिन में पूर्ण बहुमत हासिल न करने के कारण सरकार गिर गई। अगली बार फिर अटल जी 13 महीना के लिए प्रधानमंत्री रहे उसके बाद कुछ पार्टियों ने उनसे समर्थन छीन लिया जिसकी वजह से उनकी सरकार फिर गिर गई। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर सत्ता में आई और अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पर अपना कार्यकाल पूरा किया

दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति से रूबरू करवाया

दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति से रूबरू करवाने वाले और कोई नहीं अटल बिहारी वाजपेयी थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर से भारत पर दबाव था लेकिन इसके बावजूद भी अटल बिहारी वाजपेई ने परमाणु परीक्षण करवाया। और दुनिया को यह बतला दिया कि भारत भी परमाणु शक्ति से लैस है।

पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित

अटल बिहारी वाजपेई को 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया। उनको दिसंबर 2014 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रतन नवाजा गया।


अटल जी के विचार

  • "जीवन को टुकड़ों में नहीं बनता जा सकता उसका पूर्णता में ही विचार किया जाना चाहिए"

  • "छोटे मन से कोई बड़ा नहीं हो सकता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं हो सकता"

  • "संघर्ष से भागो मत क्योंकि संघर्ष से ही जीवन में मिठास आती है"

  • "देशभक्ति का मतलब केवल प्रेम नहीं देश के प्रति जिम्मेदारी भी है"

  • "आप दोस्त को बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी को नहीं"




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